दुर्गा की दस महाविद्याओं में तीव्रतम महाविद्या, संसार के सुखों और दुःखों से उत्पन्न होने वाले बार बार दुःखों की पुनरावृत्ति का दमन महाअसुर रक्तबीज के जैसे करने वाली, जिनके क्रोध से काल भी भयभीत होता है, जिन्हें शांत करने को कालों के काल महाकाल भी धरा पर आ जाते हैं, ऐसी काल और काल (समय) से परे, सुनियोजित संहार
से नवसंसार का सृजन करने वाली, कुलदेवी आदिशक्ति माँ काली के चरणों में, कालचक्र के अत्यन्त लघुचरण का, उन्हीं की कृपा से मापन कर सकने वाला यह दैवज्ञ तुषारापात बारम्बार नमन करता है और यह वचन देता है कि उनके दिए आदेश का मृत्युपर्यन्त पालन होगा।
#ज्योतिषडॉक्टर
#आचार्यतुषारापात
No comments:
Post a Comment