Sunday, October 13, 2019

शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने के नियम

आप सभी को शरद पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती और मीराबाई जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!

शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर बना के चाँदनी में रखने की परंपरा है।

शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने के नियम-
खीर बनाने के लिए ध्यान रखें कि चाँदी के बर्तन में गाय के दूध से ही खीर बनायें, गाय के दूध में थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं फिर उसमें चावल मिला के पकाएं फिर उसमें थोड़ी सी इलायची मिलाएं। अन्य कोई मेवा केसर तथा चीनी इत्यादि इस खीर में न डालें दूध में चीनी पहले से होती है आप जब दूध पकाते हैं तो दूध में पानी की मात्रा कम होने से यह स्वतः मीठा हो जाता है। चाँदी का बर्तन न होने पर मिट्टी का बर्तन प्रयोग करें और उसमें यदि संभव हो तो चाँदी का एक चम्मच डाल दें। अन्य किसी धातु के बर्तन में खीर बनाने से उतना लाभ नहीं होता।

यह खीर अगर चाँद की रोशनी में ही बनाई जाए और बनने के बाद चाँदनी में रख दी जाए तो औषधि हो जाती है। गाय के दूध में कई बीमारियों को दूर करने वाले तत्व होते हैं जो चंद्रमा की किरणों से एक्टिव हो जाते हैं और चंद्रमा की किरणों को अवशोषित कर लेते हैं, चाँदी की रोग प्रतिरोधकता का गुण इस मिश्रण में उतर आता है गंगाजल इस मिश्रण को जमने नहीं देता है और चावल में मौजूद स्टार्च इन सभी तत्वों को लॉक करता है इलायची स्वाद और सुगंध देने के साथ साथ दूध के भारीपन को दूर कर इसे सम्पूर्ण औषधि बना देती है।

चाँदनी में रखी गई यह खीर सूर्योदय से पहले ही अपने इष्टदेव को भोग लगा कर प्रसाद रूप में ग्रहण करनी चाहिए तभी इसके पूर्ण औषधि तत्वों (पुण्य) का लाभ प्राप्त होता है। इस खीर को खाने के तुरंत बाद सोना वर्जित है अच्छा होगा कि आप इसे खा के हल्की फुल्की वॉक पर निकल जाएं।

काली कल्याणकारी!🙏
#ज्योतिषडॉक्टर #आचार्यतुषारापात

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